विजय Leave a reply जब तक मन नहीं जीता जाता, राग-द्वेष शांत हीं होते , तब तक मनुष्य इंद्रियों का गुलाम बना रहता है।– विनोबा भावे Share this:TwitterFacebookLike this:पसंद करें लोड हो रहा है... Related