
ज़िला सिरमौर के हरिपुरधार में स्थित मां भगयाणी मन्दिर समुद्रतल से आठ हज़ार की ऊंचाई पर बनाया गया है! यह मन्दिर उतरी भारत का प्रसिद्ध मन्दिर है! यह मन्दिर कई दशकों से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुअ है! वैसे तो यहां वर्ष भर भक्तों का आगमन रहता है परन्तु नवरात्रों और संक्राति में भक्तों की ज्यादा श्रद्धा रहती है! इसका पौराणिक इतिहास श्रीगुल महादेव से की दिल्ली यात्रा से जुडा है जहां तत्कालीन शासक ने उन्हे उनकी दिव्यशक्तियों के कारण चमडे की बेडियों में बांध बन्दी बना लिया था और दर्वार में कार्यरत माता भगयाणी ने श्रीगुल को आज़ाद करने में सहायता की थी! इस कारण श्रीगुल ने माता भगयाणी को अपनी धरम बहन बनाया और हरिपुरधार मेंस्थान प्रदान कर सर्वशक्तिमान का वरदान दिया! आपार प्राकृतिक सुन्दरता के मध्य बना यह मन्दिर आस्था का प्रमुख स्थल है! बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिये मन्दिर समिति ने ठहरने का प्रबन्ध किया हुआ है! हरिपुरधार शिमला से वाया सोलन राजगढ एक सौ पचास किलोमीटर दूर है! जबकि चण्डीगढ से १७५ किलोमीटर है! हरिपुरधार के लिये देहरादून से भी यात्रा की जा सकती है!
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About रौशन जसवाल विक्षिप्त
अपने बारे में कुछ भी खास नहीं है बस आम और साधारण ही है! साहित्य में रुचि है! पढ लेता हूं कभी कभार लिख लेता हूं ! कभी प्रकाशनार्थ भेज भी देता हूं! वैसे 1986से यदाकदा प्रकाशित हो रहा हूं! छिट पुट संकलित और पुरुस्कृत भी हुआ हूं! आकाशवाणी शिमला और दूरदर्शन शिमला से नैमितिक सम्बंध रहा है!
सम्प्रति : अध्यापन
यह प्रविष्टि
इतिहास,
धर्म आस्था,
पर्यटन में पोस्ट की गई थी। बुकमार्क करें
पर्मालिंक।
सरकारी काम काज के सिलसिले में हरिपुरधार से दो बार गुज़रना हुआ और दोनों बार ही माँ भगयानी के मंदिर में जा कर दर्शन किये. ऊंचाई पर होने के कारण, मंदिर के आस पास का दृश्य वास्तव में बहुत ही मनोरम है . लोगों की इस देवी के प्रति गहन आस्था है, साथ ही बहुत संख्या में लोग, घरेलु या पारिवारिक समस्याओं से निजात पाने के लिए, पंडित जी को जन्मपत्री दिखाने और पूछ आदि के लिए भी आते हैं. गत ५-६ वर्ष पूर्व की याद ताज़ा हो आई !
आभार !
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सरकारी काम काज के सिलसिले में हरिपुरधार से दो बार गुज़रना हुआ और दोनों बार ही माँ भगयानी के मंदिर में जा कर दर्शन किये. ऊंचाई पर होने के कारण, मंदिर के आस पास का दृश्य वास्तव में बहुत ही मनोरम है . लोगों की इस देवी के प्रति गहन आस्था है, साथ ही बहुत संख्या में लोग, घरेलु या पारिवारिक समस्याओं से निजात पाने के लिए, पंडित जी को जन्मपत्री दिखाने और पूछ आदि के लिए भी आते हैं. गत ५-६ वर्ष पूर्व की याद ताज़ा हो आई !
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