आपदर्थे धनं रक्षेद दारान रक्षेद धनैरपि !
आत्मान सतत रक्षेद दारैरपि धनैरपि !!
विपति के समय काम आने वाले धन की रक्षा करें !धन से स्त्री की रक्षा करें और अपनी रक्षा धन और स्त्री से सदा करें ! चाणक्य
Like this:
पसंद करें लोड हो रहा है...
Related
About रौशन जसवाल विक्षिप्त
अपने बारे में कुछ भी खास नहीं है बस आम और साधारण ही है! साहित्य में रुचि है! पढ लेता हूं कभी कभार लिख लेता हूं ! कभी प्रकाशनार्थ भेज भी देता हूं! वैसे 1986से यदाकदा प्रकाशित हो रहा हूं! छिट पुट संकलित और पुरुस्कृत भी हुआ हूं! आकाशवाणी शिमला और दूरदर्शन शिमला से नैमितिक सम्बंध रहा है!
सम्प्रति : अध्यापन
यह प्रविष्टि
चाणक्य,
quotation में पोस्ट की गई थी। बुकमार्क करें
पर्मालिंक।