कलियुग 2 Replies यह कलियुग आयो अबै, साधु न मानै कोय। कामी, क्रोधी, मसखरा, तिनकी पूजा होय। Share this:TwitterFacebookLike this:पसंद करें लोड हो रहा है... Related
Udan Tashtari नवम्बर 5, 2010 को 2:54 पूर्वाह्न यही जमाना है जी… सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँखुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ! -समीर लाल 'समीर' पसंद करेंपसंद करें प्रतिक्रिया ↓
डॉ० डंडा लखनवी जनवरी 1, 2011 को 12:40 पूर्वाह्न धन्यवाद! इतने मूल्यवान विचारों कासाझीदार मुझे बनाया।नववर्ष की हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए!सद्भावी–डॉ० डंडा लखनवी, पसंद करेंपसंद करें प्रतिक्रिया ↓
यही जमाना है जी…
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद! इतने मूल्यवान विचारों का
साझीदार मुझे बनाया।
नववर्ष की हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए!
सद्भावी–डॉ० डंडा लखनवी,
पसंद करेंपसंद करें