वैसे तो सभी भाषाओं और बोलिओं में ब्लोग लिखे जा रहे है! हिमाचल प्रदेश से भी अनेक लोग हिन्दी और अंग्रेजी में ब्लोगिंग कर रहे है! परंतु पहाड़ी बोली में कोई भी नहीं लिख रहा था! आज मेल खोली तो चिठाजगत की नये चिठों बारे मेल देखी! नये ब्लोगों पर यात्रा करते समय जानकारी मिली की पहाड़ी बोली में भी ब्लोग लेखन शुरु कर दिया गया है! खुशी हुई ! गल सुणा नाम से ब्लोग बना है और उम्मीद की जानी चाहिए कि गल सुणा क्षेत्र विशेष में ना रह कर पूरे हिमाचल की संस्कृति को उभारेगा! जिज्ञासा वश लेखक के परिचय तक पहुंचा तो वह अधुरा मिला ! लेखक को शुभकामनायें !
आपके ब्लॉग पर आकर कुछ तसल्ली हुई.ठीक लिखते हो. सफ़र जारी रखें.पूरी तबीयत के साथ लिखते रहें.टिप्पणियों का इन्तजार नहीं करें.वे आयेगी तो अच्छा है.नहीं भी आये तो क्या.हमारा लिखा कभी तो रंग लाएगा. वैसे भी साहित्य अपने मन की खुशी के लिए भी होता रहा है.
चलता हु.फिर आउंगा.और ब्लोगों का भी सफ़र करके अपनी राय देते रहेंगे तो लोग आपको भी पढ़ते रहेंगे.
सादर,
माणिक
आकाशवाणी ,स्पिक मैके और अध्यापन से सीधा जुड़ाव साथ ही कई गैर सरकारी मंचों से अनौपचारिक जुड़ाव
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