ठोडा हिमाचल प्रदेश के कुछ जिलों में विशेष अवसरों पर खेला जाने वाला संगीतमय खेल है ! तीर कमान के प्रदर्शन के इस खेल को महाभारत काल से जोड़ कर भी देखा जाता है ! माना जाता है की ठौड़ा की उत्पति महाभारत काल में हुई थी! इसे पांडवों और कोरवों के मध्य हुए युद्ध के रूप में देखा जाता है ! ठौड़ा दल में दो दल होते है जिन्हें पाषंड और शाठंड कहा जाता है ! पाषंड को पांडव और शाठंड को कोंरव का रूप माना जाता है! प्रदेश के गाँव में होने वाले मेलों में ठौड़ा दलों को प्रदर्शन के लिए बुलाया जाता है ! दल एक विशेष प्रकार की सफ़ेद पोशाक पहनता है ! हिमाचल प्रदेश के उपरी इलाको ठियोग और चोपाल क्षेत्रो तथा सिरमौर के राजगड क्षेत्र में मेलों के अवसर पर ठौड़ा खेल का आयोजन किया जाता है ! ठौड़ा को ये दल अपने स्तर पर ही जिन्दा रखे हुए है जो सराहनीय है !
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ठोडा
यह प्रविष्टि धर्म आस्था में पोस्ट की गई थी। बुकमार्क करें पर्मालिंक।
“अच्छी जानकारी और भी इंतज़ार रहेगा….”
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
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आह ! आपने कुछ चित्र भी लगाए होते तो जानकारी में 4 चांद लग जाते.
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bahut hi badhiyaa likhaa hain aapne, mujhe pasand aayaa.
lekin, photo ki kami mehsoos ho rahi hain.
thanks.
http://www.chanderksoni.blogspot.com
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रौशन जी , आपने बहुत रोचक जानकारी दी है . सोलन का एक ग्राउंड तो ” ठोडो ग्राउंड ” के नाम से ही प्रसिद्ध है .
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nice
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रोशन जी, अब ठोडा कब और कहां कहां होता है, यह जानकारी मिले तो अव्छा रहे.
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