विनोबा जी की सीख

भूदान आन्दोलन के प्रणेता विनोबा भावे के पास एक शराब की लत वाला युवक आया 1 उसने प्रार्थना की की मैं बेहद परेशां हू मदिरा मेरा पीछा नहीं छोड़ती ! विनोबा जी ने सुना और अगले कल आने को कहा ! अगले दिन युवक आया और विनोबा जी को आवाज़ देने लगा युवक की आवाज़ सुन कर विनोबा जी ने कहा की मैं बाहर नहीं आ सकता क्योंकि मुझे एक खम्बे ने पकड़ रखा है ! युवक ने भीतर देखा की विनोबा जी ने एक खम्बे को पकड़ रखा है ! यह देख युवक बोला आप स्वयं खम्बे को छोड़ दे तो आप खम्बे से अलग हो जायेंगे ! यह सुन कर विनोबाजी बोले बेटा मैं तुम्हे यही समझाना चाहता था की मदिरा ने तुम्हे नहीं, तुमने मदिरा को पकड़ रखा है ! तुम स्वयं ही शराब को छोड़ सकते हो ! दृद इच्छा और शक्ति से तुम गलत आदतों को छोड़ सकते हो! युवक विनोबाजी की शिक्षा से प्रभावित हुआ और मदिरा त्याग का वादा कर ख़ुशी ख़ुशी घर चला गया !

About रौशन जसवाल विक्षिप्‍त

अपने बारे में कुछ भी खास नहीं है बस आम और साधारण ही है! साहित्य में रुचि है! पढ लेता हूं कभी कभार लिख लेता हूं ! कभी प्रकाशनार्थ भेज भी देता हूं! वैसे 1986से यदाकदा प्रकाशित हो रहा हूं! छिट पुट संकलित और पुरुस्कृत भी हुआ हूं! आकाशवाणी शिमला और दूरदर्शन शिमला से नैमितिक सम्बंध रहा है! सम्‍प्रति : अध्‍यापन
यह प्रविष्टि प्रेरक प्रसंग में पोस्ट की गई थी। बुकमार्क करें पर्मालिंक

3 Responses to विनोबा जी की सीख

  1. Udan Tashtari कहते हैं:

    प्रेरक कथा. दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो सभंव है.

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  2. S B Tamare कहते हैं:

    रौशनजी ,

    आदम जात अक्सरा अपने अनेक भ्रांतियों को जेहन में चिपकाए पूरा का पूरा जीवन गुजार देती है जब की सच्चाई बिलकुल जुदा किस्म की होती है / बड़ा सुन्दर प्रयास है आपका उस भ्रान्ति को दर्शाने का / थैंक्स/

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  3. aarkay कहते हैं:

    रौशन जी , विडम्बना तो यह है कि हम खम्बा छोड़ना ही नहीं चाहते .

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