मौनव्रत

मौनव्रत   का सर्वाधिक महत्त्व इसी में है की साधक अपनी चित्वृतियों को संयमित कर अपने लक्ष्य पर लगा दे ! वाणी का सायं रखना वरदान रूपों में सुखद होता है ! अत: हिन्दू धर्म व जैन धर्म में मौनव्रत  की अनंत महिमा गाई गई है

About रौशन जसवाल विक्षिप्‍त

अपने बारे में कुछ भी खास नहीं है बस आम और साधारण ही है! साहित्य में रुचि है! पढ लेता हूं कभी कभार लिख लेता हूं ! कभी प्रकाशनार्थ भेज भी देता हूं! वैसे 1986से यदाकदा प्रकाशित हो रहा हूं! छिट पुट संकलित और पुरुस्कृत भी हुआ हूं! आकाशवाणी शिमला और दूरदर्शन शिमला से नैमितिक सम्बंध रहा है! सम्‍प्रति : अध्‍यापन
यह प्रविष्टि प्रेरक प्रसंग में पोस्ट की गई थी। बुकमार्क करें पर्मालिंक

2 Responses to मौनव्रत

  1. shubhi कहते हैं:

    वाल्टर स्काट ने कहा भी है कि वाणी के हर शब्द में जो कुछ भी प्रीतिकर है उनमें निहित मौन और भी श्रेष्ठतम है हम सब के लिए शब्द गहरा है समय की तरह और मौन गहरा है शाश्वत की तरह

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