मेरा कुछ नहीं

राजा जनक न्यायप्रिय शासक थे ! एक बार किसी ब्रह्मण से कोई अपराध हो गया ! रजा जनक ने आदेश दिया की उसे राज्य से निकल दिया जाये ! ब्राहमण शास्त्रों का ज्ञानी था ! उसे इस बात का दुःख हुआ की अनजाने में हुए अपराध के लिए उसे राज्य से निकला जा रहा है ! वह यह भी जनता था की राजा जनक परम विरक्त है ! शास्त्रों की चर्चा करने को वह सदेव तत्पर रहते है ! ब्राहमण उनके महल में जा पहुंचा ! विनम्रता से राजा जनक को अपना परिचय देते हुए उसने कहा महाराज राज्य से निष्काशन का आपका आदेश मुझे मान्य है ! किन्तु यह बताने की कृपा करें की आपके राज्य की सीमा कहाँ तक है ! ताकि मैं उससे बहार अपने रहने की व्यवस्था कर संकू !
ब्राहमण के प्रशन ने राजा जनक के हृदय को झकझोर दिया १ उन्हें लगा की वास्तव में मेरा जब अपने शारीर पर ही कोई अधिकार नहीं है तो मैं भूमि पर अधिकार केसे जमा सकता हूँ ! राज्य को अपना मानना निरा भ्रम भी ही तो है !
जनक जी ने हाथ जोड कर कहा ब्राहमण देवता वास्तव में मैं अपने राज्य की सीमा बताने में असमर्थ हूँ ! मैं यह भी जान गया हूँ किं राज्य को अपना बताना मेरा अहम् तथा भ्रम मात्र था ! राज्य तो क्या शारीर भी मेरा नहीं है ! मैं भूलवश निष्कासन का आदेश देने के लिए आपसे क्षमा चाहता हूँ !
देखते ही राजा समाधि में खो गए ! उस दिन से उन्हें राज्य धन परिवारसे पूरी विरक्ति तरह हो गई !

About रौशन जसवाल विक्षिप्‍त

अपने बारे में कुछ भी खास नहीं है बस आम और साधारण ही है! साहित्य में रुचि है! पढ लेता हूं कभी कभार लिख लेता हूं ! कभी प्रकाशनार्थ भेज भी देता हूं! वैसे 1986से यदाकदा प्रकाशित हो रहा हूं! छिट पुट संकलित और पुरुस्कृत भी हुआ हूं! आकाशवाणी शिमला और दूरदर्शन शिमला से नैमितिक सम्बंध रहा है! सम्‍प्रति : अध्‍यापन
यह प्रविष्टि धर्म आस्‍था में पोस्ट की गई थी। बुकमार्क करें पर्मालिंक

12 Responses to मेरा कुछ नहीं

  1. Paul Cable Network, Kumaesain कहते हैं:

    achha hai gyanbardhak

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  2. Paul Cable Network, Kumaesain कहते हैं:

    achha hai gyanbardhak

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  3. पंडितजी कहते हैं:

    ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.

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  4. AlbelaKhatri.com कहते हैं:

    aalekh achha hai…….BADHAI

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  5. Roshan ji,
    Hindi ke chitthajagat men apka svagat hai.ye post to achchhee hone ke sath preranapad bhee hai.
    HemantKumar

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  6. संगीता पुरी कहते हैं:

    बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  7. नारदमुनि कहते हैं:

    yah bar hamer samajh aaye tab na, narayan narayan

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  8. alka sarwat कहते हैं:

    ज्ञान,त्याग ,तप नहीं श्रेष्ठता का जब तक पद पायेंगे……
    प्राचीन संस्मरण याद दिलाने के लिए धन्यवाद

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  9. उम्मीद कहते हैं:

    आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
    चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है

    गार्गी

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  10. अरुण कुमार झा कहते हैं:

    सच में येहाँ किसी का कुछ नहीं है. झूठा अहम लोगों को कहीं का नहीं छोड़ता. बहुत सुन्दर प्रसंग दिया है आपने. तेरामेरा कुछ भी नहीं अपना, फिर भी कश्मीर से कन्या कुमारी तक लोगों में जमीन हड़प की लालसा की सभी सीमा लोग पर कर गए हैं . आपकी ब्लॉग को मेरी शुभकामनायें
    अरुण कुमार झा

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  11. इस प्रेरक कथा को हमारे साथ साझा करने के लिए आभार।

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  12. बे्हतरीन रचना के लिये बधाई। यदि शब्द न होते तो एह्सास भी न होता। मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है। लिखते रहें हमारी शुभकामनाएं साथ है।

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