var today= new Date();var first = new Date(today.getFullYear(), 0, 1);var day = Math.round(((today – first) / 86400000), 0);var numquotes = 82;quotes = new Array(numquotes+1);authors = new Array(numquotes+1);quotes[1] =”अगर मेरी हत्या हो जाती है जैसा की कुछेक की आशंका है और कुछ लोग इसके लिए साजिश कर रहे है, तो हिंसा हत्यारे के मन और कर्म में होगी, मेरे मरण में नहीं क्योंकि कोई भी नफरत चाहे वह कितनी ही गहरी हो, अपने देश और देश वासियों के प्रति मेरे प्यार को धुंधला नहीं सकती, किसी भी ताकत में इतना दम नहीं जो मुझे अपने लक्ष्य से हटा सके और देश को आगे और आगे ले जाने की मेरी कोशिशों को नाकाम कर सके!”;quotes[2] =”यदि करील के वृक्ष में पता नहीं लगता तो इसमें बसंत का क्या दोष ? यदि उल्लू दिन में देख नहीं पता तो इसमें सूर्य का क्या दोष ? इसी प्रकार यदि पपीहे के मुख में वर्षा कि जलधारा नहीं गिरती तो इसमें बादल का क्या दोष ? ब्रह्मा ने जन्म के समय जिसके ललाट में जो लिख दिया उसे मिटने में कौन समर्थ है?”;quotes[3] =”जो शारीरिक परिश्रम नहीं करता, उसे खाने का हक़ कैसे मिल सकता है?”;quotes[4] =”आत्मसमान समस्त गुणों की आधारशिला है”;quotes[5] =”सुन्दरता चेहरे में नहीं होती बल्कि वह तो दिल की गहराइयों से रोशन होती है”;quotes[6] =”सेवा के लिए पैसे की ज़रूरत नहीं होती ज़रूरत है अपना संकुचित जीवन छोड़ने की गरीबों से एकरूप होने की”;quotes[7] =”आज नहीं कल आलसी व्यक्ति का राग है समझदार शख्स कल नहीं आज पर यकीन करता है!”;quotes[8] =”जो विद्या और सदाचार से संपन है वे सब देवताओं और मनुष्यों में बेहतर है”;quotes[9] = “ईश्वर का दाहिना हाथ कोमल परन्तु बांया बहुत कठोर है”;quotes[10] = “ईमानदार का हर काम खुले आम होता”;quotes[11] =”यदि कुछ लेना चाहते हो तो कुछ देना खो!”;quotes[12] =”ईश्वर का स्मरण करने से हमारी शांति व् खुशी का खाता बढ जाता है उन्हें भूल जाने से यह खाता घाट जाता है!”;quotes[13] =”अपराध करने और दंड देने में मनुष्य एक दुसरे का सहायक होता है!”;quotes[14] =”शब्दे धरती,शब्द अकास,शब्द शब्द भया परगास!सगली शब्द के पाछे,नानक शब्द घटे घाट आछे!”;quotes[15] =”दुःख का बोध दुःख से मुक्ति है,क्योंकि दुःख को जान कर कोई दुःख को चाह नहीं सकता और उस क्षण जब कोई चाह नहीं होती और चित वासना से विक्षुब्ध नहीं होता हम कुछ खोज नहीं रहे होते उसी क्षण उस शांत और अकंप क्षण में ही उसका अनुभव होता है जो की हमारा वास्तविक होना है !”;quotes[16] =”यदि सदगुरु मिल जाये तो जानो सब मिल गए फिर कुछ मिलना शेष नहीं रहा!यदि सदगुरु नहीं मिले तो समझों कोई नहीं मिला क्योंकि माता पिता पुत्र और भाई तो घर घर में होते है!ये सांसारिक नाते सभी को सुलभ है परन्तु सदगुरु की प्राप्ति दुर्लभ है!”;quotes[17] =”त्याग निश्चय ही आपके बल को बढ़ा देता है आपकी शक्तियों को कई गुना कर देता है आपके पराक्रम को दृढ कर देता है वही आपको ईश्वर बना देता है!वह आपकी चिंताएं और भय हर लेता है आप निर्भय तथा आनंदमय हो जाते हैं!”;quotes[18] =”समूचे लोक व्यव्हार की स्तिथि बिना नीतिशास्त्र के उसी प्रकार नहीं हो सकती जिस प्रकार भोजन के बिना प्राणियों के शरीर की स्तिथि नहीं रह सकती!”;quotes[19] = “जिनके हाथ ही पात्र है भिक्षाटन से प्राप्त अन्न का निस्वादी भोजन करते है विस्तीर्ण चारों दिशाएं ही जिनके वस्त्र है पृथ्वी पर जो शयन करते है अन्तकरण की शुद्धता से जो संतुष्ट हुआ करते है और देने भावों को त्याग कर जन्मजात कर्मों को नष्ट करते है ऐसे ही मनुष्य धन्य है!”;quotes[20] =”यह मत मानिये की जीत ही सब कुछ है,अधिक महत्व इस बात का है की आप किसी आदर्श के लिए संघर्षरत हो! यदि आप आदर्श पर ही नहीं डट सकते तो जीतोगे क्या?”;quotes[21] =”जो नसीहतें नहीं सुनता,उसे लानत मलामत सुनने का सुक होता है!”;quotes[22] =”दूसरों की ख़ुशी देना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य”;quotes[23] = “ईशावास्यमिदं सर्व यत्किज्च जगत्यां
भगवन इस जग के कण कण में विद्यमान है”;quotes[24] =”आपदर्थे धनं रक्षेद दारान रक्षेद धनैरपि!आत्मान सतत रक्षेद दारैरपि धनैरपि!!
विपति के समय काम आने वाले धन की रक्षा करें !धन से स्त्री की रक्षा करें और अपनी रक्षा धन और स्त्री से सदा करें!”;quotes[25] =”विजेता उस समय विजेता नहीं बनाते जब वे किसी प्रतियोगिता को जीतते है! विजेता तो वे उन घंटो सप्ताहों महीनो और वर्षो में बनते है जब वे इसकी तयारी कर रहे होते है!”;quotes[26] =”जो तर्क को अनसुना कर देते है वह कटर है! जो तर्क ही नहीं कर सकते वह मुर्ख है और जो तर्क करने का साहस ही नहीं दिखा सके वह गुलाम है”;quotes[27] =”ईमानदार के लिए किसी छदम वेश भूषा या साज श्रृंगार की आवश्यकता नहीं होती इसके लिए सादगी ही प्रयाप्त है!”;quotes[28] =”दुःख का बोध दुःख से मुक्ति है,क्योंकि दुःख को जान कर कोई दुःख को चाह नहीं सकता और उस क्षण जब कोई चाह नहीं होती और चित वासना से विक्षुब्ध नहीं होता हम कुछ खोज नहीं रहे होते उसी क्षण उस शांत और अकंप क्षण में ही उसका अनुभव होता है जो की हमारा वास्तविक होना है!”;quotes[29] =”यदि सदगुरु मिल जाये तो जानो सब मिल गए फिर कुछ मिलना शेष नहीं रहा ! यदि सदगुरु नहीं मिले तो समझों कोई नहीं मिला क्योंकि माता पिता पुत्र और भाई तो घर घर में होते है ! ये सांसारिक नाते सभी को सुलभ है परन्तु सदगुरु की प्राप्ति दुर्लभ है!”;quotes[30] =”त्याग निश्चय ही आपके बल को बढ़ा देता है आपकी शक्तियों को कई गुना कर देता है आपके पराक्रम को दृढ कर देता है वाही आपको ईश्वर बना देता है! वह आपकी चिंताएं और भय हर लेता है आप निर्भय तथा आनंदमय हो जाते हैं!”;quotes[31] =”समूचे लोक व्यव्हार की स्तिथि बिना नीतिशास्त्र के उसी प्रकार नहीं हो सकती जिस प्रकार भोजन के बिना प्राणियों के शरीर की स्तिथि नहीं रह सकती!”;quotes[32] =”यदि कोई व्यक्ति अपने धन को ज्ञान अर्जित करने में खर्च करता है तो उससे उस ज्ञान को कोई नहीं छीन सकता ! ज्ञान के लिए किये गए निवेश में हमेशा अच्छा प्रतिफल प्राप्त होता है!”;quotes[33] =”जिनके हाथ ही पात्र है भिक्षाटन से प्राप्त अन्न का निस्वादी भोजन करते है विस्तीर्ण चारों दिशाएं ही जिनके वस्त्र है पृथ्वी पर जो शयन करते है अन्तकरण की शुद्धता से जो संतुष्ट हुआ करते है और देने भावों को त्याग कर जन्मजात कर्मों को नष्ट करते है ऐसे ही मनुष्य धन्य है!”;quotes[34] =”यह मत मानिये की जीत ही सब कुछ है, अधिक महत्व इस बात का है की आप किसी आदर्श के लिए संघर्षरत हो ! यदि आप आदर्श पर ही नहीं डट सकते तो जीतोगे क्या?”;quotes[35] =”जो नसीहतें नहीं सुनता , उसे लानत मलामत सुनने का सुक होता है!”;quotes[36] =”दूसरों की ख़ुशी देना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है!”;quotes[37] =”ईशावास्यमिदं सर्व यत्किज्च जगत्यां जगत भगवन इस जग के कण कण में विद्यमान है !”;quotes[38] =”आपदर्थे धनं रक्षेद दारान रक्षेद धनैरपि !आत्मान सतत रक्षेद दारैरपि धनैरपि !!विपति के समय काम आने वाले धन की रक्षा करें !धन से स्त्री की रक्षा करें और अपनी रक्षा धन और स्त्री से सदा करें !”;quotes[39] =”विजेता उस समय विजेता नहीं बनते जब वे किसी प्रतियोगिता को जीतते है ! विजेता तो वे उन घंटो सप्ताहों महीनो और वर्षो में बनते है जब वे इसकी तयारी कर रहे होते है !”;quotes[40] =”जो तर्क को अनसुना कर देते है वह कटर है! जो तर्क ही नहीं कर सकते वह मुर्ख है और जो तर्क करने का साहस ही नहीं दिखा सके वह गुलाम है !”;quotes[41] =”ईमानदार के लिए किसी छदम वेश भूषा या साज श्रृंगार की आवश्यकता नहीं होती ! इसके लिए सादगी ही प्रयाप्त है!”;quotes[42] =”शब्दे धरती , शब्द अकास , शब्द शब्द भया परगास !सगली शब्द के पाछे , नानक शब्द घटे घाट आछे !!”;quotes[43] =”सफलता की कामना करने वाले व्यक्ति को शीर्ष पर पहुंचने की प्रक्रिया एक हिस्से के रुप में असफलता को एक स्वस्थ अपरिहार्य हिस्सा मानना चाहिये!”;quotes[44] =”जीवन वह नहीं जिसकी आप चाहत रखते है बल्कि यह तो वैसा बन जाता है जैसा आप इसे बनाते है!”;quotes[45] =”दुनिया में सबसे बड़ा अपराध अपनी सम्भावनओ का विकास न करना है! जब आप कोई भी काम बेहतर तरीके से करते है तो न केवल अपनी ही अपितु पूरी दुनियां की मदद करते है!”;quotes[46] =”आदतों को रोका ना जाए तो वे शीघ्र ही लत बन जाती है!”;quotes[47] =”अंधा वह नहीं जिसकी आंखें नहीं है! अंधा तो वह है जो अपने दोष छिपाता है!”;quotes[48] =”प्रजातंत्र का अर्थ में यह समझता हूं कि इसमें सर्वाधिक उपेक्षित से ले कर सुविधा संपन्न व्यक्ति तक सभी को आगे बढने का समान अवसर मिले!”;quotes[49] =”वह पुरुष धन्य है जो काम करने में कभी पीछे नहीं हटता! भाग्यलक्ष्मी उसके घर की राह पूछ्ती हुई चली आती है!”;quotes[50] =”मनुष्य की महानता उसके कपड़ों से नहीं उसके आचरण से जानी जाती है! वेसे ही मनुष्य अपने सौंदर्य से नहीं अपने गुणों से पहचाना जाता है!”;quotes[51] =”दोष से हम सब भरे हुए है, दोष मुक्त होने का प्रयास करना हुम सबका कर्तव्य है!”;quotes[52] =”इतिहास का प्रयोजन वर्तमान समय और उसके अनुसार कर्तव्य को महत्व देना है!”;quotes[53] =”बुद्धपुरुषों की कोई पह्चान नहीं होती और जितनी पहचाने तुम बना लोगे उनमें भूल चूक करोगे क्योंकि जब भी बुद्धत्व प्रकट होता है तब इतना अनूठा होता इतना अद्वितीय इतना बेजोड़ कि वैसा पहले कभी नहीं हुआ था और वैसा फिर कभी नहीं होगा! पुनरुक्ति तो होती नहीं तो तुम जो भी पह्चान बना लोगे वह अड़्चन हो जाएगी!”;quotes[54] =”जो दूसरों को कठिन लगे उसे सरलता से करने में कौशल है! कौशल के लिये जो असम्भव है उसे कर दिखाने में प्रतिभा है!”;quotes[55] =”धन से नहीं संतान से भी नहीं अमृत स्थिति की प्रप्ति तो केवल त्याग से ही होती है!”;quotes[56] =”स्वराज का राज्य संविधान की युक्तिसंगत आशा हमसे तभी की जा सकती है जब हम पहले स्वराज चरित्र को प्रप्त कर लें!”;quotes[57] =”सज्जनों के संकल्प कल्पवृक्ष के फलों की भांति शीघ्र ही परिपक्व हो जाते है!”;quotes[58] =”परोपकारी अपने कष्ट को नहीं देखता क्योंकि वह परकष्ट करुणा से ओतप्रोत होता है!”;quotes[59] =”भाग्य पर वह व्यक्ति भरोसा करता है जिसमें पौरुष नहीं होता!”;quotes[60] =”असफलता यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं हुआ!”;quotes[61] =”मन शुद्ध चाहिए यही सबसे बड़ी भक्ति है! जब मन में ईष्या और द्वेष की ज्वाला दहक रही तो कोरा व्रत रखने से क्या होगा?”;quotes[62] =”हार क्या है? शिक्षा के अतिरिक्त कुछ नहीं यह तो एक अच्छी स्तिथि के लिये केवल पहला कदम है!”;quotes[63] =”हृदय की सच्ची प्रार्थना से हमें सच्चे कर्तव्य का पता चलता है!आखिर में तो कर्तव्य करना ही प्रार्थना बन जाती है!”;quotes[64] =”ज्ञानी हर बात की अपने से आशा रखता है,मूर्ख दूसरों की ओर ताकता है!”;quotes[65] =”जो मनुष्य अपने साथी से घृणा करता है,वही उसी मनुष्य के समान हत्यारा है जिसने सचमुच हत्या की है!”;quotes[66] =”अपना ही दोष ढूंढ निकालना शानवीरों का काम है!”;quotes[67] =”आवत गाली एक है उलटे होत अनेक।
कहे कबीर नहीं उलटिये वही एक ही एक॥”;quotes[68] =”भार झोंक के भाड़ में, रहीम उतरै पार।
पे डूबे मंझधार में, जिनके सिर भार॥”;quotes[69] =”तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग।
सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥”;quotes[70] =”प्रत्येक शिशु एक सन्देश ले कर आता है कि भगवान मनुष्य को ले कर हतोत्साहित नहीं है!”;quotes[71] =”मनुष्य को यह स्वीकारने में शर्माना नहीं चाहिए कि वह ग़लती पर है!”;quotes[72] =”अपने लक्ष्य को मत भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसी में संतोष करने लगोगे!”;quotes[73] =”यदि सत्य की राह में एक हज़ार धारणाएं धराशायी हिती हों तो भी हमें आगे बढ़ने से रुकना नहीं चाहिए!”;quotes[74] =”आप के मौन को जो समझ नहीं सकता वह शायद आप्के शब्दों को भी नहीम समझ सकता!”;quotes[75] =”उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का मापदंड है!”;quotes[76] =”नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है!”;quotes[77] =”ज्ञानीजन विवेक से सीखते है साधारण मनुष्य अनुभव से अज्ञानी पुरुष आवश्यकता से और पशु स्वभाव से! “;quotes[78] =”हम स्वभाव के मुताबिक सोचते है कायदे के मुताबिक बोलते है और रिवाज़ के मुताबिक आचरण करते है!”;quotes[79] =”जो शिक्षा मनुष्य को संकीर्ण और स्वार्थी बना देती है उसका मूल्य किसी युग में चाहे जो रहा हो अब नहीं! “;quotes[80] =”शरीर को निर्बल और रोगी रखने समान दूसरा कोई पाप नहीं है!”;quotes[81] =”जंजीरें, जंजीरें ही है चाहे वे लोहे की हो या सोने की,वे समान रुप से तुम्हे गुलाम बनाती है!”;quotes[82] =”जिस प्रकार मैले दर्पण में सुरज का प्रतिबिंब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिंब नहीं पड़ सकता! “;authors[1] =”इंदिरा गाँधी”;authors[2] =”भर्तृहरी शतक”;authors[3] =”महात्मा गाँधी”;authors[4] =”जौन इरशल”;authors[5] =”खलील जिब्रान”;authors[6] =”विनोबा भावे”;authors[7] =”अल्बर्ट आइन्स्टीन”;authors[8] =”माज्जिम निकाय”;authors[9] =”रविंदर नाथ ठाकुर”;authors[10] = “चाणक्य”;authors[11] = “सुभाष चन्द्र बोस”;authors[12] = “अनाम”;authors[13] = “जयशंकर”;authors[14] = “गुरु नानक”;authors[15] = “ओशो”;authors[16] = “*कबीर”;authors[17] = “स्वामी रामतीर्थ”;authors[18] = “शुक्र नीति”;authors[19] = “बेंजामिन फ्रेंकलिन”;authors[20] = “भर्तृहरी शतक”;authors[21] = “लेन कर्कलैंड”;authors[22] = “शेख सादी”;authors[23]= “संतवाणी”;authors[24] = “चाणक्य”;authors[25] = “टी एलन आर्मस्ट्रांग”;authors[26] = “विलियम ड्रूमंड”;authors[27] = “औटवे”;authors[28] = “ओशो”;authors[29] = “कबीर”;authors[30] = “स्वामी रामतीर्थ”;authors[31] = “शुक्र नीति”;authors[32] = “बेंजामिन फ्रेंकलिन”;authors[33] = “भर्तृहरी शतक” ;authors[34] = “लेन कर्कलैंड”;authors[35] = “शेख सादी”;authors[36] = “संतवाणी” ;authors[37] = “कल्याण वाणी”;authors[38] = “चाणक्य” ;authors[39] = “टी एलन आर्मस्ट्रांग” ;authors[40] = “विलियम ड्रूमंड”;authors[41] = “औटवे”;authors[42] = “गुरु नानक”;authors[43] = “डा० जोएस ब्रदर्स”;authors[44] = “एंथनी रयान” ;authors[45] = “रोजर विलियम्स”;authors[46] = “संत आगसिटन”;authors[47] = “अनाम”;authors[48] = “महात्मा गांधी”;authors[49] = “भगवान महावीर”;authors[50] = “अनाम”;authors[51] = “महात्मा गांधी”;authors[52] = “इमर्सन”;authors[53] = “ओशो”;authors[54] = “शापेनहावर”;authors[55] = “स्वामी विवेकानन्द”;authors[56] = “विपिनचंद्र पाल”;authors[57] = “कालिदास”;authors[58] = “संत तुकाराम”;authors[59] = “प्रेमचंद”;authors[60] = “स्वामी विवेकानन्द”;authors[61] = “प्रेमचंद”;authors[62] = “बैडेल फिलिप”;authors[63] = “महात्मा गांधी”;authors[64] = “जोन पाल”;authors[65] = “स्वामी रामतीर्थ”;authors[66] = “विवेकानन्द”;authors[67] = “कबीर”;authors[68] = “रहीम”;authors[69] = “तुलसी”;authors[70] = “रविंद्र नाथ टैगोर”;authors[71] = “रिवफ़्ट”;authors[72] = “बर्नाड शा”;authors[73] = “*स्टफ़ोर्ड ए.बुक”;authors[74] = “अलबर्ट हबर्ट”;authors[75] = “तिरुवल्लुवर”;authors[76] = “संत तिरुवल्लुवर”;authors[77] = “कौटिल्य”;authors[78] = “फ़्रासिस बेकन “;authors[79] = “शरदचंद्र चटोपाध्याय”;authors[80] = “लोकमान्य तिलक”;authors[81] = “स्वामी रामतीर्थ”;authors[82] = “रामकृष्ण परमहंस”;var ran = (day % numquotes) + 1;document.write(quotes[ran] + ‘
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var today= new Date();var first = new Date(today.getFullYear(), 0, 1);var day = Math.round(((today – first) / 86400000), 0);var numquotes = 82;quotes = new Array(numquotes+1);authors = new Array(numquotes+1);quotes[1] =”अगर मेरी हत्या हो जाती है जैसा की कुछेक की आशंका है और कुछ लोग इसके लिए साजिश कर रहे है, तो हिंसा हत्यारे के मन और कर्म में होगी, मेरे मरण में नहीं क्योंकि कोई भी नफरत चाहे वह कितनी ही गहरी हो, अपने देश और देश वासियों के प्रति मेरे प्यार को धुंधला नहीं सकती, किसी भी ताकत में इतना दम नहीं जो मुझे अपने लक्ष्य से हटा सके और देश को आगे और आगे ले जाने की मेरी कोशिशों को नाकाम कर सके!”;quotes[2] =”यदि करील के वृक्ष में पता नहीं लगता तो इसमें बसंत का क्या दोष ? यदि उल्लू दिन में देख नहीं पता तो इसमें सूर्य का क्या दोष ? इसी प्रकार यदि पपीहे के मुख में वर्षा कि जलधारा नहीं गिरती तो इसमें बादल का क्या दोष ? ब्रह्मा ने जन्म के समय जिसके ललाट में जो लिख दिया उसे मिटने में कौन समर्थ है?”;quotes[3] =”जो शारीरिक परिश्रम नहीं करता, उसे खाने का हक़ कैसे मिल सकता है?”;quotes[4] =”आत्मसमान समस्त गुणों की आधारशिला है”;quotes[5] =”सुन्दरता चेहरे में नहीं होती बल्कि वह तो दिल की गहराइयों से रोशन होती है”;quotes[6] =”सेवा के लिए पैसे की ज़रूरत नहीं होती ज़रूरत है अपना संकुचित जीवन छोड़ने की गरीबों से एकरूप होने की”;quotes[7] =”आज नहीं कल आलसी व्यक्ति का राग है समझदार शख्स कल नहीं आज पर यकीन करता है!”;quotes[8] =”जो विद्या और सदाचार से संपन है वे सब देवताओं और मनुष्यों में बेहतर है”;quotes[9] = “ईश्वर का दाहिना हाथ कोमल परन्तु बांया बहुत कठोर है”;quotes[10] = “ईमानदार का हर काम खुले आम होता”;quotes[11] =”यदि कुछ लेना चाहते हो तो कुछ देना खो!”;quotes[12] =”ईश्वर का स्मरण करने से हमारी शांति व् खुशी का खाता बढ जाता है उन्हें भूल जाने से यह खाता घाट जाता है!”;quotes[13] =”अपराध करने और दंड देने में मनुष्य एक दुसरे का सहायक होता है!”;quotes[14] =”शब्दे धरती,शब्द अकास,शब्द शब्द भया परगास!सगली शब्द के पाछे,नानक शब्द घटे घाट आछे!”;quotes[15] =”दुःख का बोध दुःख से मुक्ति है,क्योंकि दुःख को जान कर कोई दुःख को चाह नहीं सकता और उस क्षण जब कोई चाह नहीं होती और चित वासना से विक्षुब्ध नहीं होता हम कुछ खोज नहीं रहे होते उसी क्षण उस शांत और अकंप क्षण में ही उसका अनुभव होता है जो की हमारा वास्तविक होना है !”;quotes[16] =”यदि सदगुरु मिल जाये तो जानो सब मिल गए फिर कुछ मिलना शेष नहीं रहा!यदि सदगुरु नहीं मिले तो समझों कोई नहीं मिला क्योंकि माता पिता पुत्र और भाई तो घर घर में होते है!ये सांसारिक नाते सभी को सुलभ है परन्तु सदगुरु की प्राप्ति दुर्लभ है!”;quotes[17] =”त्याग निश्चय ही आपके बल को बढ़ा देता है आपकी शक्तियों को कई गुना कर देता है आपके पराक्रम को दृढ कर देता है वही आपको ईश्वर बना देता है!वह आपकी चिंताएं और भय हर लेता है आप निर्भय तथा आनंदमय हो जाते हैं!”;quotes[18] =”समूचे लोक व्यव्हार की स्तिथि बिना नीतिशास्त्र के उसी प्रकार नहीं हो सकती जिस प्रकार भोजन के बिना प्राणियों के शरीर की स्तिथि नहीं रह सकती!”;quotes[19] = “जिनके हाथ ही पात्र है भिक्षाटन से प्राप्त अन्न का निस्वादी भोजन करते है विस्तीर्ण चारों दिशाएं ही जिनके वस्त्र है पृथ्वी पर जो शयन करते है अन्तकरण की शुद्धता से जो संतुष्ट हुआ करते है और देने भावों को त्याग कर जन्मजात कर्मों को नष्ट करते है ऐसे ही मनुष्य धन्य है!”;quotes[20] =”यह मत मानिये की जीत ही सब कुछ है,अधिक महत्व इस बात का है की आप किसी आदर्श के लिए संघर्षरत हो! यदि आप आदर्श पर ही नहीं डट सकते तो जीतोगे क्या?”;quotes[21] =”जो नसीहतें नहीं सुनता,उसे लानत मलामत सुनने का सुक होता है!”;quotes[22] =”दूसरों की ख़ुशी देना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य”;quotes[23] = “ईशावास्यमिदं सर्व यत्किज्च जगत्यां
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वह आपकी चिंताएं और भय हर लेता है आप निर्भय तथा आनंदमय हो जाते हैं!”;quotes[31] =”समूचे लोक व्यव्हार की स्तिथि बिना नीतिशास्त्र के उसी प्रकार नहीं हो सकती जिस प्रकार भोजन के बिना प्राणियों के शरीर की स्तिथि नहीं रह सकती!”;quotes[32] =”यदि कोई व्यक्ति अपने धन को ज्ञान अर्जित करने में खर्च करता है तो उससे उस ज्ञान को कोई नहीं छीन सकता ! ज्ञान के लिए किये गए निवेश में हमेशा अच्छा प्रतिफल प्राप्त होता है!”;quotes[33] =”जिनके हाथ ही पात्र है भिक्षाटन से प्राप्त अन्न का निस्वादी भोजन करते है विस्तीर्ण चारों दिशाएं ही जिनके वस्त्र है पृथ्वी पर जो शयन करते है अन्तकरण की शुद्धता से जो संतुष्ट हुआ करते है और देने भावों को त्याग कर जन्मजात कर्मों को नष्ट करते है ऐसे ही मनुष्य धन्य है!”;quotes[34] =”यह मत मानिये की जीत ही सब कुछ है, अधिक महत्व इस बात का है की आप किसी आदर्श के लिए संघर्षरत हो ! यदि आप आदर्श पर ही नहीं डट सकते तो जीतोगे क्या?”;quotes[35] =”जो नसीहतें नहीं सुनता , उसे लानत मलामत सुनने का सुक होता है!”;quotes[36] =”दूसरों की ख़ुशी देना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है!”;quotes[37] =”ईशावास्यमिदं सर्व यत्किज्च जगत्यां जगत भगवन इस जग के कण कण में विद्यमान है !”;quotes[38] =”आपदर्थे धनं रक्षेद दारान रक्षेद धनैरपि !आत्मान सतत रक्षेद दारैरपि धनैरपि !!विपति के समय काम आने वाले धन की रक्षा करें !धन से स्त्री की रक्षा करें और अपनी रक्षा धन और स्त्री से सदा करें !”;quotes[39] =”विजेता उस समय विजेता नहीं बनते जब वे किसी प्रतियोगिता को जीतते है ! विजेता तो वे उन घंटो सप्ताहों महीनो और वर्षो में बनते है जब वे इसकी तयारी कर रहे होते है !”;quotes[40] =”जो तर्क को अनसुना कर देते है वह कटर है! जो तर्क ही नहीं कर सकते वह मुर्ख है और जो तर्क करने का साहस ही नहीं दिखा सके वह गुलाम है !”;quotes[41] =”ईमानदार के लिए किसी छदम वेश भूषा या साज श्रृंगार की आवश्यकता नहीं होती ! इसके लिए सादगी ही प्रयाप्त है!”;quotes[42] =”शब्दे धरती , शब्द अकास , शब्द शब्द भया परगास !सगली शब्द के पाछे , नानक शब्द घटे घाट आछे !!”;quotes[43] =”सफलता की कामना करने वाले व्यक्ति को शीर्ष पर पहुंचने की प्रक्रिया एक हिस्से के रुप में असफलता को एक स्वस्थ अपरिहार्य हिस्सा मानना चाहिये!”;quotes[44] =”जीवन वह नहीं जिसकी आप चाहत रखते है बल्कि यह तो वैसा बन जाता है जैसा आप इसे बनाते है!”;quotes[45] =”दुनिया में सबसे बड़ा अपराध अपनी सम्भावनओ का विकास न करना है! जब आप कोई भी काम बेहतर तरीके से करते है तो न केवल अपनी ही अपितु पूरी दुनियां की मदद करते है!”;quotes[46] =”आदतों को रोका ना जाए तो वे शीघ्र ही लत बन जाती है!”;quotes[47] =”अंधा वह नहीं जिसकी आंखें नहीं है! अंधा तो वह है जो अपने दोष छिपाता है!”;quotes[48] =”प्रजातंत्र का अर्थ में यह समझता हूं कि इसमें सर्वाधिक उपेक्षित से ले कर सुविधा संपन्न व्यक्ति तक सभी को आगे बढने का समान अवसर मिले!”;quotes[49] =”वह पुरुष धन्य है जो काम करने में कभी पीछे नहीं हटता! भाग्यलक्ष्मी उसके घर की राह पूछ्ती हुई चली आती है!”;quotes[50] =”मनुष्य की महानता उसके कपड़ों से नहीं उसके आचरण से जानी जाती है! वेसे ही मनुष्य अपने सौंदर्य से नहीं अपने गुणों से पहचाना जाता है!”;quotes[51] =”दोष से हम सब भरे हुए है, दोष मुक्त होने का प्रयास करना हुम सबका कर्तव्य है!”;quotes[52] =”इतिहास का प्रयोजन वर्तमान समय और उसके अनुसार कर्तव्य को महत्व देना है!”;quotes[53] =”बुद्धपुरुषों की कोई पह्चान नहीं होती और जितनी पहचाने तुम बना लोगे उनमें भूल चूक करोगे क्योंकि जब भी बुद्धत्व प्रकट होता है तब इतना अनूठा होता इतना अद्वितीय इतना बेजोड़ कि वैसा पहले कभी नहीं हुआ था और वैसा फिर कभी नहीं होगा! पुनरुक्ति तो होती नहीं तो तुम जो भी पह्चान बना लोगे वह अड़्चन हो जाएगी!”;quotes[54] =”जो दूसरों को कठिन लगे उसे सरलता से करने में कौशल है! कौशल के लिये जो असम्भव है उसे कर दिखाने में प्रतिभा है!”;quotes[55] =”धन से नहीं संतान से भी नहीं अमृत स्थिति की प्रप्ति तो केवल त्याग से ही होती है!”;quotes[56] =”स्वराज का राज्य संविधान की युक्तिसंगत आशा हमसे तभी की जा सकती है जब हम पहले स्वराज चरित्र को प्रप्त कर लें!”;quotes[57] =”सज्जनों के संकल्प कल्पवृक्ष के फलों की भांति शीघ्र ही परिपक्व हो जाते है!”;quotes[58] =”परोपकारी अपने कष्ट को नहीं देखता क्योंकि वह परकष्ट करुणा से ओतप्रोत होता है!”;quotes[59] =”भाग्य पर वह व्यक्ति भरोसा करता है जिसमें पौरुष नहीं होता!”;quotes[60] =”असफलता यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं हुआ!”;quotes[61] =”मन शुद्ध चाहिए यही सबसे बड़ी भक्ति है! जब मन में ईष्या और द्वेष की ज्वाला दहक रही तो कोरा व्रत रखने से क्या होगा?”;quotes[62] =”हार क्या है? शिक्षा के अतिरिक्त कुछ नहीं यह तो एक अच्छी स्तिथि के लिये केवल पहला कदम है!”;quotes[63] =”हृदय की सच्ची प्रार्थना से हमें सच्चे कर्तव्य का पता चलता है!आखिर में तो कर्तव्य करना ही प्रार्थना बन जाती है!”;quotes[64] =”ज्ञानी हर बात की अपने से आशा रखता है,मूर्ख दूसरों की ओर ताकता है!”;quotes[65] =”जो मनुष्य अपने साथी से घृणा करता है,वही उसी मनुष्य के समान हत्यारा है जिसने सचमुच हत्या की है!”;quotes[66] =”अपना ही दोष ढूंढ निकालना शानवीरों का काम है!”;quotes[67] =”आवत गाली एक है उलटे होत अनेक।
कहे कबीर नहीं उलटिये वही एक ही एक॥”;quotes[68] =”भार झोंक के भाड़ में, रहीम उतरै पार।
पे डूबे मंझधार में, जिनके सिर भार॥”;quotes[69] =”तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग।
सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥”;quotes[70] =”प्रत्येक शिशु एक सन्देश ले कर आता है कि भगवान मनुष्य को ले कर हतोत्साहित नहीं है!”;quotes[71] =”मनुष्य को यह स्वीकारने में शर्माना नहीं चाहिए कि वह ग़लती पर है!”;quotes[72] =”अपने लक्ष्य को मत भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसी में संतोष करने लगोगे!”;quotes[73] =”यदि सत्य की राह में एक हज़ार धारणाएं धराशायी हिती हों तो भी हमें आगे बढ़ने से रुकना नहीं चाहिए!”;quotes[74] =”आप के मौन को जो समझ नहीं सकता वह शायद आप्के शब्दों को भी नहीम समझ सकता!”;quotes[75] =”उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का मापदंड है!”;quotes[76] =”नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है!”;quotes[77] =”ज्ञानीजन विवेक से सीखते है साधारण मनुष्य अनुभव से अज्ञानी पुरुष आवश्यकता से और पशु स्वभाव से! “;quotes[78] =”हम स्वभाव के मुताबिक सोचते है कायदे के मुताबिक बोलते है और रिवाज़ के मुताबिक आचरण करते है!”;quotes[79] =”जो शिक्षा मनुष्य को संकीर्ण और स्वार्थी बना देती है उसका मूल्य किसी युग में चाहे जो रहा हो अब नहीं! “;quotes[80] =”शरीर को निर्बल और रोगी रखने समान दूसरा कोई पाप नहीं है!”;quotes[81] =”जंजीरें, जंजीरें ही है चाहे वे लोहे की हो या सोने की,वे समान रुप से तुम्हे गुलाम बनाती है!”;quotes[82] =”जिस प्रकार मैले दर्पण में सुरज का प्रतिबिंब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिंब नहीं पड़ सकता! “;authors[1] =”इंदिरा गाँधी”;authors[2] =”भर्तृहरी शतक”;authors[3] =”महात्मा गाँधी”;authors[4] =”जौन इरशल”;authors[5] =”खलील जिब्रान”;authors[6] =”विनोबा भावे”;authors[7] =”अल्बर्ट आइन्स्टीन”;authors[8] =”माज्जिम निकाय”;authors[9] =”रविंदर नाथ ठाकुर”;authors[10] = “चाणक्य”;authors[11] = “सुभाष चन्द्र बोस”;authors[12] = “अनाम”;authors[13] = “जयशंकर”;authors[14] = “गुरु नानक”;authors[15] = “ओशो”;authors[16] = “*कबीर”;authors[17] = “स्वामी रामतीर्थ”;authors[18] = “शुक्र नीति”;authors[19] = “बेंजामिन फ्रेंकलिन”;authors[20] = “भर्तृहरी शतक”;authors[21] = “लेन कर्कलैंड”;authors[22] = “शेख सादी”;authors[23]= “संतवाणी”;authors[24] = “चाणक्य”;authors[25] = “टी एलन आर्मस्ट्रांग”;authors[26] = “विलियम ड्रूमंड”;authors[27] = “औटवे”;authors[28] = “ओशो”;authors[29] = “कबीर”;authors[30] = “स्वामी रामतीर्थ”;authors[31] = “शुक्र नीति”;authors[32] = “बेंजामिन फ्रेंकलिन”;authors[33] = “भर्तृहरी शतक” ;authors[34] = “लेन कर्कलैंड”;authors[35] = “शेख सादी”;authors[36] = “संतवाणी” ;authors[37] = “कल्याण वाणी”;authors[38] = “चाणक्य” ;authors[39] = “टी एलन आर्मस्ट्रांग” ;authors[40] = “विलियम ड्रूमंड”;authors[41] = “औटवे”;authors[42] = “गुरु नानक”;authors[43] = “डा० जोएस ब्रदर्स”;authors[44] = “एंथनी रयान” ;authors[45] = “रोजर विलियम्स”;authors[46] = “संत आगसिटन”;authors[47] = “अनाम”;authors[48] = “महात्मा गांधी”;authors[49] = “भगवान महावीर”;authors[50] = “अनाम”;authors[51] = “महात्मा गांधी”;authors[52] = “इमर्सन”;authors[53] = “ओशो”;authors[54] = “शापेनहावर”;authors[55] = “स्वामी विवेकानन्द”;authors[56] = “विपिनचंद्र पाल”;authors[57] = “कालिदास”;authors[58] = “संत तुकाराम”;authors[59] = “प्रेमचंद”;authors[60] = “स्वामी विवेकानन्द”;authors[61] = “प्रेमचंद”;authors[62] = “बैडेल फिलिप”;authors[63] = “महात्मा गांधी”;authors[64] = “जोन पाल”;authors[65] = “स्वामी रामतीर्थ”;authors[66] = “विवेकानन्द”;authors[67] = “कबीर”;authors[68] = “रहीम”;authors[69] = “तुलसी”;authors[70] = “रविंद्र नाथ टैगोर”;authors[71] = “रिवफ़्ट”;authors[72] = “बर्नाड शा”;authors[73] = “*स्टफ़ोर्ड ए.बुक”;authors[74] = “अलबर्ट हबर्ट”;authors[75] = “तिरुवल्लुवर”;authors[76] = “संत तिरुवल्लुवर”;authors[77] = “कौटिल्य”;authors[78] = “फ़्रासिस बेकन “;authors[79] = “शरदचंद्र चटोपाध्याय”;authors[80] = “लोकमान्य तिलक”;authors[81] = “स्वामी रामतीर्थ”;authors[82] = “रामकृष्ण परमहंस”;var ran = (day % numquotes) + 1;document.write(quotes[ran] + ‘
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